अमर चित्र कथा हिन्दी >> पवनपुत्र हनुमान पवनपुत्र हनुमानअनन्त पई
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इस चित्र कथा की यह कहानी कृत्तिवास कृत्त रामायण से ली गयी है
Pawan Putra Hanuman -A Hindi Book by Anant Pai
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
लंकापति रावण सीता को हर ले गया था।
उन्हें छुडा़ने के लिए राम और लक्ष्मण ने वानर सेना के साथ लंका पर धावा बोल दिया। घमासान युद्ध हुआ। लक्ष्मण घायल हो गये। उनके प्राण बचा सके ऐसी एकमात्र जड़ी, गंधमाधन पर्वत पर मिलती थी। हनुमान उसे लाने गये।
इस चित्र कथा कि यह कहानी कृत्तिवास कृत रामायण से ली गयी है।
उन्हें छुडा़ने के लिए राम और लक्ष्मण ने वानर सेना के साथ लंका पर धावा बोल दिया। घमासान युद्ध हुआ। लक्ष्मण घायल हो गये। उनके प्राण बचा सके ऐसी एकमात्र जड़ी, गंधमाधन पर्वत पर मिलती थी। हनुमान उसे लाने गये।
इस चित्र कथा कि यह कहानी कृत्तिवास कृत रामायण से ली गयी है।
पवन पुत्र हनुमान
अयोध्या के वनवासी राजकुमार, राम ने जब लंका पर हमला किया। तब एक दिन लंका पति रावण स्वयं युद्धभूमि पर आया।
युद्ध के दौरान उसने राम के भाई, लक्ष्मण पर भाला घुमा कर फेंका।
लक्ष्मण के गिरते ही....
....राम आगे गये ...
और उन्होंने शक्तिशाली राक्षस को मार भगाया,
लक्ष्मण ! लक्ष्मण।
आह मेरे प्यारे भाई तुम्हारे जैसा भाई, कहाँ मिलेगा । ?
इसे बचाओ सुषेण ! तुम तो महान चिकित्सक हो।
इनमें अभी प्राण शेष हैं। यदि मुझे संजीवनी बूँटी मिल जाये तो मैं इन्हें बचा सकता हूँ।
पर बूटी कल सुबह से पहले मिल जाये।
कहां मिलेगी यह बूँटी ?
गंधमादन पर्वत पर ।
युद्ध के दौरान उसने राम के भाई, लक्ष्मण पर भाला घुमा कर फेंका।
लक्ष्मण के गिरते ही....
....राम आगे गये ...
और उन्होंने शक्तिशाली राक्षस को मार भगाया,
लक्ष्मण ! लक्ष्मण।
आह मेरे प्यारे भाई तुम्हारे जैसा भाई, कहाँ मिलेगा । ?
इसे बचाओ सुषेण ! तुम तो महान चिकित्सक हो।
इनमें अभी प्राण शेष हैं। यदि मुझे संजीवनी बूँटी मिल जाये तो मैं इन्हें बचा सकता हूँ।
पर बूटी कल सुबह से पहले मिल जाये।
कहां मिलेगी यह बूँटी ?
गंधमादन पर्वत पर ।
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